मेरी हर सोच में ;तेरी ही सोच है ।
तेरी किसी सोच मे ; मेरी सोंच नही ।
है हर याद , तेरी याद मुझे ,
मेरी कोई याद ; याद तक नही तुझे।
तु ख्याल बनकर उतरता है मेरी हर लिख़ावटों मे ,
तेरी किसी बयाज़ के पन्ने पर मेरा नाम तक नहीं।
आईना देखु तो तेरा अक्स नज़र आता है मुझमे ,
तेरे सामने मैं रहूँ खड़ी फिर भी तुझे एहसास तक नहीं।
तेरे कदमों कि आहटें तो छोड़ दे ; तेरी धड़कने भी अब समझ आनी लगी मुझे,
इस प्यार को क्या नाम दें ?
ये भी तुझे पता नहीं।
रहा घंटो तक इंतज़ार तेरी फोन का,
मसरूफ रहे इतना के मेरी याद तक नही ;
अब कहते हो कॉल किया तो था ; पर नेटवर्क मिला नहीं।
हर लम्हा मसरूफ हू देखने मे तुझे ,
तु किसी पल ही मोहब्बत से देख ले मुझे।
भीड़ में तन्हाई में ; तुझे ही तलाशती रहती है नज़रे मेरी ,
बड़े आसानी से कह गये तुम
ये अदा जचती नही मेरी।
धड़कने बढ़ जाती है , मै गर ना रहू पास ,
और कह देते हो तेरे बिन मै मरता नहीं ।
हर सवाल का तेरे देंगे जवाब हम,
याद रखना मेरे लव्ह यू , मिस यू का जवाब अब तक मुझे मिला नहीं।
बारिशों मे वो संग तेरे किचड़ मे चलना ; मज़ा तो बहुत आया हमे ,
तु उदास क्यूँ था ये बात अब मुझे पता नहीं।
बतियाती बहुत हूँ , शायद कुछ ज्यादा अक्टींग ओवर करती हू ,
मेरी बाते बोअर करती है या
मैं ही तुझे पसंद नही हूँ ।
लाजवाब कर देती है खामोशी तेरी सवाल को मेरे,
जवाब मे अब नज़र काम नही करती ।
बादल भर आते है आँखो मे ,
जब खुलते है झरोखें मेरे दिल के,
सैलाब अश्कों का फिर डूबा ले जाता है ख्यालों में तेरे ,
तु है के तुझे खबर किसी तुफान कि नही ।
शगुफ्ता ईनामदार