ख्वाँबोंकी दुनियाँ...

A Poem On Dreams

ख्वाँबोंकी दुनियाँ ही
कुछ अजीब होती हैं...
कभीं अनकही तो
कभीं अनसुनी होती हैं...
ख्वाँबोंकी डोर
कभीं कभीं
ढलती रहती हैं...
फिर भीं हर पल हर लम्हा
वोह् चलती रहती हैं...
सच कहती हूँ...
ख्वाँबोंकी कोई कभीं
Expiry date
नही होती हैं...!!

कु.हर्षदा नंदकुमार पिंपळे