मीडिया की आवाज

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लोकतंत्र का चौथा पहिया
हे यह मेरी पहचान
दुनिया को दिखाना आयना
हे यह मेरा काम

लढी़ है मैंने भी
लडा़ई आज़ादी की
संदेसे लिए वतन के
पहुचाए मैंने घर-घर में

शिक्षा स्वास्थ महत्वपूर्ण बातें
आज पिछे रही कोसो दुर
जज्बात को दरनिकार कर
पैसा ही हैं लक्ष्य मेरा

बिक गया है मेरा ईमान
आज कौडियों के समान
सत्ता-विपक्ष के चक्की में
पिस रहा हुं गेंहु के समान

दु:खी होती हैं मेरी आत्मा
झुठ जब मुझसे फैलाया जाता
मेरे अश्रुंओ का मजा
रेत के टिपले भातिं उडाला जाता

समय से एकही गुजारिश
लौटा दे मुझे मेरा ईमान
लोग सच से हो परिचित
अपरिचित का हो नाश
जीत हो सत्य न्याय की
हो अन्याय का नाश