इंतजार के लम्हें

A Poem On Love


हसीन थें,जवान थें
आवारे थें ,प्यारे थें...
सुहाने थें, दिवाने थें
बैचेन थें, अपने थें...
पर.....,
गिरे हुए पन्नों कीं तरह...
न जाने कब सुख गए...?
आपके इंतज़ार के लम्हे...!!


कु.हर्षदा नंदकुमार पिंपळे