Home
Categories
Series
Enable dark mode
Enable dark mode
इंतजार के लम्हें
A Poem On Love
·
min read
34
110
हसीन थें,जवान थें
आवारे थें ,प्यारे थें...
सुहाने थें, दिवाने थें
बैचेन थें, अपने थें...
पर.....,
गिरे हुए पन्नों कीं तरह...
न जाने कब सुख गए...?
आपके इंतज़ार के लम्हे...!!
कु.हर्षदा नंदकुमार पिंपळे
Facebook
Instagram
Twitter
Linkedin