तिरंगा

Poem Depicting The Glory And Teachings of Honourable Tricolour


जग मैं लहाराया ध्वज हमारा उंचा रे
चारों दिशाओं मैं तिरंगा छाया रे
देख नजारा पर्वत अपना शिश झुकाए
विजयी गीत आज सारा भारतवर्ष गाए

शौर्य गाथाओ से प्रफुल्लित है तिरंगा
शहादतों ने अपने खून से है सजदा किया
कर्म एवं साहस से ये लैस है तिरंगा
वीर बलिदानों का प्रतीक है ये केसारिया

शांती का प्रतीक ये रंग श्वेत है
शांतिदुत ये महान भारतवर्ष है
मुक्ती एवं सत्य की झलक दर्शाता है
विश्व को नेकीं की राह दिखाता है

आदर्श जीवन की सिख देता ये ध्वज
प्रकृती का सम्मान दर्शाता ये रंग हरा
माटी का अभिमान इतिहास की हे ये गाथा
वसुंधरा का सिरताज ये हिंदोस्ता हमारा

गतिमान है देश मेरा दर्शाता अशोक चक्र
न झुकेगा ये देश कभी लहाराएगा विजयी पताका
कर्तव्य दर्शाता विश्व को ये धर्मचक्र
हर कण कण मैं धैर्य तथा आत्मविश्वास जगाता है


सर्व धर्म समभाव ऐसा महान तिरंगा है
अनेकता में एकता इसका सिद्धांत है
जब जब इस पावनभूमी को ललकारा है
सभी ने एक होकर तिरंगे को और भी उचाया है

आज इस स्वतंत्र दिन पर लिजीए शपथ
आजसे हमारा है वीर पथ अग्निपथ
इस देश को और भी महान बनाना है
महान तिरंगे का सम्मान बढाना है
विश्वागुरु भारतवर्ष को बनाना है
इतिहास की महानता को दोहराना है


जय हिंद