तेरी याद

यह एक शायरी है .
तेरी याद मे ना जाने कितने दिन रात हो गये,
 ना जाने कितनी राते बदलती करवटों के साथ हो गये ।

वक्त चलता रहा अपनी रफ्तार से,
 हम आज़ाद ना हुए तेरी गिरफ्तार से | 

वो पन्ने जो तेरे प्यार कि सियाही से भरे हुए थे, 
 आज फिर ताज़ा हुई जो उन जख़्मो पे हार हुए ।

तेरे दीदार को तरसती ये आँखे,
ना जाने कब अश्कबार हुई,
 हम ख़यालों मे डूबे रहे तेरी , 
लगा के बे मौसम फिर बरसात हुई ।

वो बारिश अब होती नही है,
जो साथ अपने तेरी खुशबु लाती थी ।
 तु पुछ लेना कभी उन झडीयों से ,
क्या तेरी याद मुझको ना रुलाती थी?

जानते है , तुझे शिकवे है कई हमसे 
तु ये ना समझ के हमे तुझसे कोई गिला नही | 

इज़हार तो कईयों ने किया मोहब्बत का, चाहे तुझे झुठ लगे ; 
 सच कहे तो तु तुझसे पहले , तेरे बाद कही किसी मे मिला नही ।

तु और तेरी बाते रही याद बस,
 फिर किसी से कोई फरियाद ना रही।
हवा के झोंके मे उड़ती ये जुल्फे अब , 
 तेरी याद मे मुझसे लिपट गयी।

फज़र कि थंडी सबा मे वो खुशबु तेरे इत्र कि ,
आज फिर मेरी सासों मे ताजगी दे गयी।

भेजे हमने कई खुतुत तेरे नाम के शहर मे तेरे ,
जवाब एक का भी तुझसे हमे मिला नही,
 इंतज़ार कब तक करू तेरे जवाब का, 
समझ गये है जब हम खयाल आपका ,
अब कोई जवाब ना देना खुतुत का मेरे , 
खत्म हुआ है जब सब कुछ ही तो रहने दे अब कोई शिकवा गिला नहीं ।


सौ . ईनामदार शगुफ्ता . मो.