तेरा रूठना

Tera ruthna-Hindi Poem

जिंदगी  बेमतलब सी हो गयी है तेरे रूठ जानेसे,
दिल बेजान सा हो गया है तेरे मुह  फेर लेने से
किससे गिला शिकवा और दिल कि बात करे अब
हर कोई अपना पराया  सा लगने लगता है|
कहाँ गया वोह खूबसूरत सा मंजर
जब दिन ढलता था  तेरी मिठी बातों में
और हर शाम रंगभरी हो जाती थी
तेरी ही तो उम्मीदभरी  बाहो में|
अब तो राह बदलकर चले आओ
मेरी उजडी दुनिया फिरसे बसा दो
कही ऐसा ना हो जाये, बेजान सी
हुई जिंदगी हमेशा के लिये बेजान हो जाये
और हम आखरीं दिदार के  काबील भी ना रहे |

-Shashwati