टेक्निकल बहुरानी

Hindi Story


श्वेता एक साॅफ्टवेयर इंजीनीयर हैं।श्वेता की शादी तय हुई तो श्वेता के मम्मीको एक अलगही चिंता सताने लगी। श्वेता शादी होने के बाद दूर चली जायेगी ये उसकी चिंता नहीं थी।चिंताका कारण था श्वेता का स्वभाव।

स्कूल टाईमसेही श्वेता पढ़ाई में अव्वल थी।वह शुरू से ही पढ़ाकू थी। पढ़ाई छोड़के उसका कहीं ओर ध्यान कभी गयाही नहीं। अब नोकरीमे भी यही हाल है। सिर्फ नोकरी ही उसके दिल और दिमाग में रहती थी। काम तो पुरे लगनसे करती हैं।अगर ओव्हरटाईम करना पड़े तो भी वह उसी लगनसे करती हैं ।इसी कारण उसे बहोत जल्दी बढ़त मिली।

ये अपने काम में इतनी दंग रहती है की बाकी किसी चीज के तरफ उसका ध्यान कभी जाता ही नही। ना चुल्हाचौका मालूम है ना घर ग्रहस्ती कैसे संभालते ये मालूम है।

श्वेता के मां ने उसे ये सब चिजे सिखाने की बहुत कोशिश की परंतु ये चिजे सिखने के लिए श्वेता के पास वक्त कहा था?

श्वेता का मंगेतर भी साॅफ्टवेयर इंजीनियर हैं
उसकी तुम्हारे काम में मदत हो सकती है ऐसा कुछ समझाबुझाकर उसे शादी के लिए राजी कर लिया गया ।


श्वेता की मां की चिंता दिन ब दिन बढ़ती गयी क्यूंकि वह ऑफीस के कामके अलावा कुछ नहीं करती थी।अगर कुछ बताओ तो टाल देती थी।
ये लड़की घर संसार कैसी करेगी यही चिंता उसकी मां को खायी जा रही थी।

श्वेता की मां का चिंताग्रस्त चेहरा देखकर समधन जी समझ गयी उन्होंने पूछा,

" समधन जी किस चिंता में खोयी हो? कुछ अड़चन हो तो बताओ।"

श्वेता की मां ने काफ़ी सोचा और फीर सबकुछ समधनजीको बतानेका सोच लिया।

"समझ नहीं आ रहा कैसे आपको बताऊं पर बताना जरूरी हैं।कल आगे जाके कुछ समस्या न खड़ी हो जाए इसलिए बताती हूं। हमारी श्वेता सिर्फ पढ़ाकू हैं।बाकी कुछ काम उसे आता नहीं।
दुनियादारी क्या होती हैं उसे पता नहीं। खाना बनाना तो आता ही नहीं।उसका सिर्फ अपनी नोकरी पर ध्यान रहता है। हमें डर लगने लगा की उसे ये काम करनेकी मानसिक बिमारी तो नही। आपके साथ रिश्ता जोड़ने के लिए हां तो कह दिया है हमने परंतु बाद में कोई अड़चन आगयी तो हम ही झूठ साबित होंगे। माफ़ करना समधनजी मुझे लगता है आप एकबार इस शादीके बारे में फिर से सोच लेना अच्छा हैं।
शादी तो उसे करनी है परंतु इसका स्वभाव ऐसा हैं।

"इतनीसी बात है। " समधनजी श्वेता के मां की बात बिच में काटकर बोली।

" मैं भी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाती हूं। मै इंजीनियरिंग पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अच्छी तरह से जानती हूं।आप फ़िक्र न करें मैं उसे सब सिखा दुंगी।"

"परंतु आपको"।

" श्वेता अब मेरी जिम्मेदारी है। अगर कोई ग़लती हुयी तो उसके लिए मैं जिम्मेदार रहूंगी।"

समधनजीकी बात सुनकर श्वेता के मां को चैनकी राहत मिली।

शादी का मुहरत समीप आगया।श्वेता दुल्हन के रूप में बहुत खुबसुरत लग रही थी।

"कन्या को बुलाईये।" गुरूजी ने कहां।

श्वेता को बुलाने उसके कमरे में जाकर देखा तो वह कमरेमे नहीं थी।सबके पसीने छुट गये।श्वेता की होनेवाली सांस को बात समझमे आयी। वह सिधी टेरेसपर गयी। उन्होंने देखा वहां श्वेता लॅपटाॅप पर किसी क्लायंट से व्हिडीयो काॅलपर मिटींग कर रही थी। उसकी सास वहीं बाजू में रुक गयी।

क्लायंट भी आश्चर्य चकीत हुआं।जिसकी शादीको कुछ मिनीट बाकी है वह व्हिडिओ मिटींग कर रही है।

मिटींगके बाद अपनी सांस को वहां देखकर उसने पूछा, " डेडलाईन मिस हुती क्या?।"
" तुम्हारा मतलब शादीके मुहूर्त से हैं।"
" जी हां। वही"
" टाईम एक्स्टेंड कर लिया है। अभी चल।"

शादी हो गयी। बिदाई के समय श्वेता के मां को बहोत रोना आया तब श्वेता ने उसे समझाया।
"मां जगह बदल गयी तो इतना क्यों रोना?"
श्वेता के मां ने सरपे हाथ मार लिया तो उसके सांस को हंसी आगयी। श्वेता का पती श्वेता के यही स्वभावके प्यार में था।

अब कसौटी थी श्वेता के सांस की।

श्वेता की ज़िम्मेदारी उन्होंने अपने सर पर ली थी अब उन्हें श्वेता को संसार करनेके,घर संभालने के काबील बनाना था।

श्वेता की मां का चिंताग्रस्त चेहरा देखकर समधन जी समझ गयी उन्होंने पूछा,
" समधन जी किस चिंता में खोयी हो? कुछ अड़चन हो तो बताओ।"

श्वेता की मां ने काफ़ी सोचा और फीर सबकुछ समधनजीको बतानेका सोच लिया।

समझ नहीं आ रहा कैसे आपको बताऊं पर बताना जरूरी हैं।कल आगे जाके कुछ समस्या न खड़ी हो जाए इसलिए बताती हूं। हमारी श्वेता सिर्फ पढ़ाकू हैं।बाकी कुछ काम उसे आता नहीं।
दुनियादारी क्या होती हैं उसे पता नहीं। खाना बनाना तो आता ही नहीं।उसका सिर्फ अपनी नोकरी पर ध्यान रहता है। उसे ये काम करनेकी मानसिक बिमारी तो नही। आपके साथ रिश्ता जोड़ने के लिए हां तो कह दिया है हमने परंतु बाद में कोई अड़चन आती तो हम ही झूठ साबित होंगे। माफ़ करना समधनजी मुझे लगता है आप एकबार इस शादीके बारे में फिर से सोच लेना अच्छा हैं।
शादी तो उसे करनी है परंतु इसका स्वभाव ऐसा हैं।

"इतनीसी बात है। " समधनजीने श्वेता के मां की बात बिच में काटकर बोली।

" मैं भी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाती हूं। मै इंजीनियरिंग पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अच्छी तरह से जानती हूं।आप फ़िक्र न करें मैं उसे सब सिखा दुंगी।"

"परंतु आपको"।
" श्वेता अब मेरी जिम्मेदारी है। अगर कोई ग़लती हुती तो उसके लिए मैं जिम्मेदार रहूंगी।"

समधनजीकी बात सुनकर श्वेता के मां को चैनकी राहत मिली।

शादी का मुहरत समीप आगया।श्वेता दुल्हन के रूप में बहुत खुबसुरत लग रही थी।
"कन्या को बुलाईये।" गुरूजी ने कहां।
श्वेता को बुलाने उसके कमरे में जाकर देखा तो वह कमरेमे नहीं थी।सबके पसीने छुट ग्रे।श्वेता की होनेवाली बास्को बात समझते आयी। वह सिंधी टेरेसपर गयी। उन्होंने देखा वहां श्वेता लॅपटाॅप पर किसी क्लायंट से व्हिडीयो काॅलपर मिटींग कर रही थी। उसकी सास वहीं बाजू में रुक गयी।

क्लायंट भी आश्चर्य चकीत हुआं।जिसकी शादीको कुछ मिनीट बाकी है वह व्हिडिओ मिटींग कर रही है।

मिटींगके बाद अपनी सांस को वहां देखकर उसने पूछा, " डेडलाईन मिस हुयी क्या?।"

" तुम्हारा मतलब शादीके मुहूर्त से हैं।"

" जी हां। वही"

" टाईम एक्स्टेंड कर लिया है। अभी चल।"

शादी हो गयी। बिदाई के समय श्वेता के मां को बहोत रोना आया तब श्वेता ने उसे समझाया।

"मां जगह बदल गयी तो इतना क्यों रोना?"

श्वेता के मां ने सरपे हाथ मार लिया तो उसके सांस को हंसी आगयी। श्वेता का पती श्वेता के यही स्वभावके प्यार में था।

अब कसौटी थी श्वेता के सांस की।

श्वेता अपने सांस के पास आकर हिचकिचाते हुए बोली

" माजी आपको मेरा प्राॅब्लेम पता है नं।मै हर एक चीजके तरफ टेक्नीकली देखती हूं। मै अपने काम से बाहर आही नहीं सकती।अगर मुझसे कुछ ग़लती हुती तो आप मुझे संभाल लोगी नं!"

" श्वेता तुमने कहा ये बहोत अच्छा हुआ।अब मैं जो कहती हूं वही करना।

श्वेता दिलोजान से अपने सांस ने जो कहा वह सुनने लगी।

"श्वेता आज से ये घर तुम्हारा नया वर्क लोकेशन है ऐसा समझना।जब हम पहली बार नये लोकेशन पर जाते हैं तो क्या करते हैं?

"वहां के वर्क कल्चर के साथ हम अच्छे संबंध बना लेते हैं।

" सही कहा तुमने। अब वही करना हैं।तुम्हारी इंटर्नशीप आजसे शुरू हो रही है।

\"इंटर्नशीप\" ये टेक्निकल शब्द सुनतेही श्वेताके दिल को तसल्ली मिल गयी। क्यूं की संसार, रिश्ते नाते, ससुराल इन शब्दोंका उसके मन में डर बैठा था।

" श्वेता ये देख हम इंटर्नशीप में अपने सिनीयर्सका काम देखते हैं,उनसे बहुत कुछ सिखते हैं,अगर कुछ प्राॅब्लेम आगये तो उन्हें पूछ लेते हैं अब तुम्हें वही करना हैं।

" ठीक है।आप जो करोगी वो मैं सिख लुंगी।

"अच्छा अब पहले बात आती हैं खाना बनाने की।अपने घर में सिर्फ औरतोंकोही खाना बनाना है ऐसा नियम नहीं है। तुम्हारा पती, तुम्हारे ससूर तुम्हें मदत करेंगे।इस घर में सबको खाना बनाना आता है।तुझे भी सिखना पड़ेगा।

"ओके फिर इसकेलिए मुझे कुछ मदत करनेवाले…"

उसके सांस ने हंसकर उसके हाथ में रेसीपी बुक थमा दी।

" ये अच्छे से पढ़।अच्छे से इस किताब की पढ़ाई कर।

श्वेताने जी जान लगाकर वह बुक पढ़ना शुरू किया।

दो दिन के बाद उसने अपनी सांस के सामने रिपोर्ट रखी।

"मांजी मैंने पुरी तरह से इसका अभ्यास किया है।ये है प्रोजेक्ट रिपोर्ट।खाना बनाते समय जो चिजे हमेशा लगती है उसकी ये लिस्ट है।किस पदार्थ में कितनी कॅलरीज होती हैं ये भी इसमें मैंने लिखा है।आपको खून की कमी है तो बीट आपके लिए अच्छा रहेगा।बीटका हलवा बना सकते हैं।बाबूजी को अर्थि्राइटीस का प्राॅब्लेम है तो उन्हें ड्रम स्टीक खाने में अच्छा रहेगा।और कॅल्शीयम के लिए फल अच्छे रहेंगे।

" अरे मेरी लाडली" सांस ने श्वेता की नजर उतार दी। टेक्निकल भाषा में क्यूं न हो ये लड़की संसार की बातें अच्छी से सिखरही थी।श्वेता के सांस को अच्छा लगा। सांस ने श्वेता का प्रोजेक्ट रिपोर्ट लिया और घर में सबको दिखाया।इस रिपोर्ट पर हंसे के रोये घरवालों को समझमे नहीं आरहा था। सांस ने आंखों के इशारेसे सबको चुप किया।

शादी के भागदौड़ में घरकी हालत बहोत खराब हो चुकी थी।सब चिजे बिखरी पड़ी थी। पर्दे खराब हो गये थे। अब श्वेता को घर कैसे संवरना है ये सिखाना चाहिए।
क्रमशः

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