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सीमंतिनी भाग ४१

रिमा सीमंतिनीला मदत करू शकेल का?
भाग ४१

सीमंतिनी आणि सानिका पुन्हा हॉटेलवर निघून गेल्या. सीमंतिनीला मात्र वेगळीच हुरहूर लागली होती. रिमा म्हणाली तर होती की ती तिला भेटायला ती थांबलेल्या हॉटेलमध्ये येईल पण ती खरंच येईल का? याची शंका मात्र तिला सतावत होती. त्यात तिला चार दिवसांचीच रजा मिळाली होती त्यामुळे तिच्या हातात आजचा आणि उद्याचाच दिवस होता. या सगळ्या विचाराने ती बेचैन होती. तिचे लक्ष सतत घड्याळाकडे जात होते. पावणे सहा वाजले आणि तिची बेचैनी आणखीन वाढली. पण बरोबर सहा वाजता तिच्या रूमच्या दारावर कोणीतरी नॉक केले आणि सीमंतिनी भानावर आली. सीमंतिनीने जाऊन दार उघडले तर समोर रिमा उभी. तिला पाहून सीमंतिनीला हायसे वाटले. तिने तिला आत बोलावले.

सीमंतिनी,“आईये ना आप अंदर! प्लीज सीट!” ती उसनं हसू आणत म्हणाली.

रिमा,“तुम्हारे चेहरे से लागता है की तुम्हे लग रहा था की मैं आऊँगी नहीं।” तिने तिला रोखून पाहत विचारलं.

सीमंतिनी,“ऐसा कुछ नही है। आप क्या लेंगी चाय, कॉफी या कोल्ड्रिंक?” ती म्हणाली.

रिमा,“कॉफी! तो बोलो क्या काम है मुझसे तुम्हे की तुम इतनी दूर मुझे ढूंढते हुए आई हो?” तिने सरळ मुद्द्याला हात घातला.

सीमंतिनी,“मैं जो आपसे बोलनेवाली हूँ वो बहुत पर्सनल है रिमा! मोहितने मुझसे शादी की लेकिन उसने मुझसे वो इंपोटेंट है यह बात छुपायी। ऊपर से मेरे मिडल क्लास होने का फायदा उठाके मुझे ह्यूमिलेट करने की कोशिश की | उन्हेंने पहले तो आप के बारे में मुझे बताकर मेरी सिम्पथि गेन की | जब मैंने उनको डॉक्टर के पास चलने की बात उठाई और फोर्स किया तब उन्होंने मुझे उनका यह सच बताया | उन्हें लगा था कि मैं उनके पैसे की तरफ देखकर उनके पास रह जाऊंगी। उनके लिए मैं एक शो पिस थी | एक कठपुतली उसके सिवा कुछ भी नहीं। लेकिन मैंने उनसे अलग होनेका फैसला किया। हमारी डिव्हॉर्स केस कोर्ट में शुरू है। मैने उनसे उनके इंपोटेंट होने कि बेसिस पर डिव्हॉर्स मांगा है और उनके मेडिकल चेकअप की माँग भी की है। लेकिन कोर्टने मुझे मोहित इंपोटेंट है इसका सबूत माँगा है। तभी उनका मेडिकल चेकअप हो सकता है। इसी लिए मैं आपसे मदत मॉंगने आई हूँ। आप मोहित की गर्ल फ्रेंड रह चुकी है अगर आप मोहित के खिलाफ कोर्ट में गवाही दे तो मेरी हर मुश्किल आसान हो जाएगी। वैसे मुझे आपके और मोहित के बीच क्या हुआ था यह भी जानना है। अगर आप बताना चाहें तो!” तिने रिमाला सविस्तर सांगितले.

रिमा,“हम्म याने मोहितने तुम्हे फसाया है। मैंने उससे कहा था कि वो शादी ना करे लेकिन मोहित तो मोहित है उसका ईगो बहुत बड़ा है। मेरी और उसकी मुलाकात अमरीका में पढ़ाई के दौरान हुई थी। सच कहूँ तो मैं ही मोहित के प्यार में पागल थी। हैंडसम, गुडलुकिंग, होशियार, फोकस्ड और खानदानी रईस आदमी किस लड़की को पसंद नही आएगा भला। उस समय बहुत सारी लड़कियाँ उसके आगे पीछे मंडराती थी। लेकिन मैंने उसे प्रपोज किया और उसने भी मुझसे हाँ कहा और हमारा अफैर शुरू हुआ। लेकिन मोहित जितना दिखने में अच्छा था नेचर से उतना ही बुरा! खुद के सामने उसे कभी कुछ नही दिखता था। वो सेल्फ सेंटर्ड और एरोगंट था। बात बात में मेरी इंसर्ट करने में उसे जैसे मज़ा आता था। लेकिन मुझे उसकी खामिया दिखती ही नही थी। मैं उसके प्यार में पागल जो थी। एक साथ घूमना फिरना, एक दुसरे को किस करना, एक दूसरे के करीब जाना हमारे लिए आम बात थी। हमारे घरपर भी हमने एक दूसरे के बारे में बता दिया था और घर से कोई ऐतराज भी नही था। उसी वक्त एक रात मैं और मोहित इसीके फ्लैट पर इंटिमेट हो रहे थे। हम दोनों के ही अरमान शिखर पर थे। फोर प्ले के बाद जब मैं उत्तेजना की चरम पर थी और इंटरकोर्स करनेकी बारी आई तो मोहित से कुछ नही हो पाया। मुझे और उसे भी लगा कि यह पहली बार है इसीलिए ऐसा हुआ होगा। लेकिन महीनों तक बार बार कोशिश करने पर भी कुछ नही हो पाया तो मैं इरिटेड हो गई और उसे डॉक्टर के पास ले गई। वहाँ डॉक्टरने उसके टेस्ट किए और वह इंपोटेंट है इस नतीजे पर वह पहुँचे। लेकिन मोहित यह मानने को तैयार नही था। लेकिन मैंने उसका साथ नहीं छोड़ा, उसके साथ रही। लेकिन मोहित को मेरी कदर नहीं थी उसे बस खुद की ही पड़ी थी।

वो मुझे बार बार उसके फ्लैट पर बुलाता और वही सब करने की कोशिश करता लेकिन जब उससे कुछ हो नही पता तो खुद का गुस्सा मुझपर उतारता। उन दिनों उसने अमरीका, यूरोप, आफ्रिका सब देशो में खुद का इलाज करवाने की कोशिश की | वैद, हकीम यहाँ तक कि यूनानी उपाय भी कर के देख लिए और उन सब उपायों का असर हुआ या नहीं यह देखने के किए मैं उसकी गिनीपिग थी। लेकिन मैं उसके इस बर्ताव से तंग आ चुकी थी। मेरी भी कुछ भावनाए, कुछ जरूरते थी इसका उसे एहसास भी नहीं था | उसे तो बस उसकी मर्दानगी साबित करनी थी। एक दिन उसने मुझे उसके फ्लैट पर बुलाया हम परमोच्च शिखर पर पहुचे जरूर लेकिन मोहित फिर कुछ नही कर पाया। तो मैंने उसे झुंझलाकर धक्का दे दिया।क्योंकि इन सब की मुझे शारीरिक और मानसिक तख़लिफ होने लगी थी। वह हमारा आखरी झगड़ा था।

मोहित,“यू बीच तुमने मुझे धक्का दिया? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?”

रिमा, "तुमसे कुछ हो नहीं पाता तो मुझे बुलाते क्यों हो? मैं क्या तुम्हारा गिनीपिग हूँ! मैंने तुम से प्यार किया हैं मोहित इसलिए अब तक तुम्हारे साथ हूँ लेकिन तुम्हे तो मेरी कदर ही नहीं है।”

मोहित,“मैं मर्द हूँ और तुम औरत! हमारे यहाँ औरत को पैर की जूती समझा जाता हैं। उससे ज्यादा कुछ नहीं।”

रिमा,“हाउ डेयर यू? मुझसे ऐसे बात करने की और मुझपे हाथ उठने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई यू इंपोटेंट मॅन। तुम मर्द हो क्या? तुम तो नपुंसक हो। बहुत हुआ तुम्हारी औकाद ही क्या है मुझे पैर की जूती कहने की! मैंने तुम से प्यार किया था इसीलिए इतना सबकुछ होने के बाद भी तुम्हारे साथ थी लेकिन अब बस! गो टू हेल! आजसे तुम्हारा और मेरा कोई रिश्ता नहीं है। तुम इंपोटेंट हो यह बात अब मान लो और शादी मत करना किसी भी लड़की से क्योंकि आधा अधूरा आदमी किसी भी औरत को पूरा सुख नहीं दे सकता।

उसके बाद मैं डिग्री कंप्लीट कर के वापस आ गयी और पापा का बिजनेस जॉइन किया। लेकिन पुराने जखम जल्दी कहा बरते है! मैंने खुद को प्यार से बहुत दिनों तक दूर रखा लेकिन दो साल पहले आसिम मेरे पापा के दोस्त का बेटा मेरी ज़िंदगी में आया और उसने मुझे सही मायनों में प्यार का मतलब समझाया। हमारी मंगनी हो चुकी है और चार महीने बाद शादी!

मैं तुम्हारी मदत करके मोहित को सबक सिखाना चाहती हूँ। उसे बताना चाहती हूँ कि औरत पैर की जूती नहीं बल्कि काली होती है जो अगर अपनी पर आ जाए तो भगवान भी उसके पैरों में बिछ जाते है लेकिन यह फैसला मैं अकेले नही ले सकती मुझे आसिम से पूछना होगा। उसे मोहित और मेरे बारे में सब पता हैं। अगर उसने मुझे तुम्हारी मदत करने के लिए हाँ कहा तो मैं जरूर तुम्हारी मदत करूँगी।” रिमाने डोळे पुसले आणि ती बोलायची थांबली.

रिमा सीमंतिनीची मदत करू शकेल का? असीम रिमाला परवानगी देईल का?

©स्वामिनी चौगुले
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