मेहेक उठी धरती
बारीश की धार से,
बरसने लगा सावन
बादलों की छाव से..
तब ये दिल पुकारे तेनू
बादल जब छाये वे..
सुन दिलों की आवाज तू
अब सावन बरसा वे..
बारीश की धार से,
बरसने लगा सावन
बादलों की छाव से..
तब ये दिल पुकारे तेनू
बादल जब छाये वे..
सुन दिलों की आवाज तू
अब सावन बरसा वे..
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