रिश्ते**
सुषमा ठीक छह बजे पार्क में पहुंची, कुमुद अभी तक नहीं आई थी।
रोज तो दोनों इसी समय पार्क में मिलती हैं ,पार्क में फुटपाथ पर दोनों साथ साथ घूमती हैं तो इधर-उधर की बातें हो जाती है।
कुमुद के बेटे की अभी साल भर पहले ही शादी हुई है, बहू भी नौकरीपेशा है। कुमुद के पति को गुजरे कई साल हो गए हैं, कुमुद ने अकेले ही बेटे की परवरिश की है।
सुषमा ठीक छह बजे पार्क में पहुंची, कुमुद अभी तक नहीं आई थी।
रोज तो दोनों इसी समय पार्क में मिलती हैं ,पार्क में फुटपाथ पर दोनों साथ साथ घूमती हैं तो इधर-उधर की बातें हो जाती है।
कुमुद के बेटे की अभी साल भर पहले ही शादी हुई है, बहू भी नौकरीपेशा है। कुमुद के पति को गुजरे कई साल हो गए हैं, कुमुद ने अकेले ही बेटे की परवरिश की है।
सुषमा के पति को गुजरे अभी दो साल हुए हैं, दो बेटियां हैं उनकी शादी हो चुकी है। छोटी यही शहर में रहती है, बड़ी बेटी बाहर विदेश में है ।
कुमुद की राह देखते- देखते- सुषमा ने फुटपाथ का एक चक्कर भी लगा लिया उतने में कुमुद आती दिखाई दी ।
दोनों पार्क में बेंच पर बैठ गई कुमुद बहुत उत्साहित नजर आ रही थी सुषमा कुछ पूछतीं उससे पहले कुमुद ने पर्स में से डिब्बा निकाल उसमें से केक का बड़ा सा पीस निकाल कर सुषमा के मुंह में दे दिया, केक खा कर सुषमा ने कुमुद की तरफ देख कर कहा
'क्या बात है बहुत खुश नजर आ रही हो बहू की तरफ से कोई---'
'अरे नहीं, आज मातृ दिवस है ना तो करण मेरे लिए केक लेकर आया उस पर "हैप्पी मदर्स डे "लिखा था साथ में एक सुंदर सा कार्ड भी था जिस पर "मेरी प्यारी मां मेरी स्पेशल सिर्फ आपके लिए"।
मैंने बहू से कहा आओ दोनों केक काटते हैं, तब बहू ने कहा" नहीं मां यह आपके लिए है"
। सच कहूं सुषमा आज मैं इतनी खुश हूं कि क्या बताऊं, मेरा बेटा , उसने जता दिया की मैं उसके लिए स्पेशल हूँ , उसके दिल में मेरी एक खास जगह है, जो सिर्फ और सिर्फ मेरी है। उसे कोई और नहीं ले सकता।'
कुमुद की खुशी देखकर सुषमा ने उसे गले लगा लिया।
इन दो सालों में वह और कुमुद एक दूसरे को अच्छे से जानने समझने लगी थीं। दोनों हम-उम्र थी, पति के वियोग का दुख दोनों ने सहा था ।
कुमुद की राह देखते- देखते- सुषमा ने फुटपाथ का एक चक्कर भी लगा लिया उतने में कुमुद आती दिखाई दी ।
दोनों पार्क में बेंच पर बैठ गई कुमुद बहुत उत्साहित नजर आ रही थी सुषमा कुछ पूछतीं उससे पहले कुमुद ने पर्स में से डिब्बा निकाल उसमें से केक का बड़ा सा पीस निकाल कर सुषमा के मुंह में दे दिया, केक खा कर सुषमा ने कुमुद की तरफ देख कर कहा
'क्या बात है बहुत खुश नजर आ रही हो बहू की तरफ से कोई---'
'अरे नहीं, आज मातृ दिवस है ना तो करण मेरे लिए केक लेकर आया उस पर "हैप्पी मदर्स डे "लिखा था साथ में एक सुंदर सा कार्ड भी था जिस पर "मेरी प्यारी मां मेरी स्पेशल सिर्फ आपके लिए"।
मैंने बहू से कहा आओ दोनों केक काटते हैं, तब बहू ने कहा" नहीं मां यह आपके लिए है"
। सच कहूं सुषमा आज मैं इतनी खुश हूं कि क्या बताऊं, मेरा बेटा , उसने जता दिया की मैं उसके लिए स्पेशल हूँ , उसके दिल में मेरी एक खास जगह है, जो सिर्फ और सिर्फ मेरी है। उसे कोई और नहीं ले सकता।'
कुमुद की खुशी देखकर सुषमा ने उसे गले लगा लिया।
इन दो सालों में वह और कुमुद एक दूसरे को अच्छे से जानने समझने लगी थीं। दोनों हम-उम्र थी, पति के वियोग का दुख दोनों ने सहा था ।
घर जाते समय सुषमा को याद आया ,अभी दो महीने पहले जब वैलेंटाइन डे था। उस दिन इसी तरह कुमुद और वह बगीचे में बैठे बातें कर रही थी, कुमुद ने बताया था कल उसका बेटा करण टूर पर गया था पर सुबह-सुबह एक कुरियर वाला आया बहू के लिए बेटे ने गुलाबों के फूलों का एक गुलदस्ता भेजा था, सुंदर से लाल गुलाब देखते ही बहू का चेहरा भी गुलाब की तरह खिल गया कुमुद भी अपने बेटे का बहू के प्रति प्यार देखकर खुश हो गई।
परंतु थोड़ी ही देर में उसे लगा की एक फूल, बेटा उसके लिए भी भेज देता वह भी तो उसकी मां है। प्यार तो वह उसे भी करता ही है पर ---- बताते हुए कुमुद कुछ उदास सी थी। सुषमा ने कुमुद के हाथ पर हाथ रख कर उसे सांत्वना दी।
कुमुद के पति को गुजरे कई साल हो गए हैं इसी वजह से वह उस प्यार को तलाशती है पर---- कुछ कमी तो इंसान के जीवन में रहती ही है।
पर आज की घटना से कुमुद शायद समझ गई कि हर व्यक्ति का दूसरे के जीवन में एक स्थान होता है। मां की जगह अपनी और पत्नी की अपनी। हमें एक दूसरे की जगह पर अधिकार नहीं जताना चाहिए इसी में घर परिवार का सुख है।
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श्रीमती प्रतिभा परांजपे
परंतु थोड़ी ही देर में उसे लगा की एक फूल, बेटा उसके लिए भी भेज देता वह भी तो उसकी मां है। प्यार तो वह उसे भी करता ही है पर ---- बताते हुए कुमुद कुछ उदास सी थी। सुषमा ने कुमुद के हाथ पर हाथ रख कर उसे सांत्वना दी।
कुमुद के पति को गुजरे कई साल हो गए हैं इसी वजह से वह उस प्यार को तलाशती है पर---- कुछ कमी तो इंसान के जीवन में रहती ही है।
पर आज की घटना से कुमुद शायद समझ गई कि हर व्यक्ति का दूसरे के जीवन में एक स्थान होता है। मां की जगह अपनी और पत्नी की अपनी। हमें एक दूसरे की जगह पर अधिकार नहीं जताना चाहिए इसी में घर परिवार का सुख है।
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श्रीमती प्रतिभा परांजपे
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