निराशा से आशा तक#निराशा और उसे दी हुई मात।

My entry for Compition.

हम सभी के जीवन में कई बार एक ऐसा दौर भी आता हैं,जब किसी ना किसी वजह से,हम जिंदगी से  निराश हो जातें हैं।कई ऐसे पल भी आते हैं,जब हमें लगने लगता हैं कि बस अब सब कुछ खत्म हो गया हैं। 

ऐसा  महसूस करने की बहुत सारी वजहें हैं, जैसे किसी परीक्षा में असफल हो जाना, किसी रिश्ते का टूट जाना, पैसे की कमी, नौकरी या मनपसंद काम ना मिलना,रिश्ते में दूरियां, किसी काम में लगातार मिल रही असफलता इत्यादि। और भी कई कारणों से हम निराशाजनक परिस्थितियों से गुजरते हैं।

इन परिस्थितियों में फंसना जितना आसान हैं, उसमें से बाहर निकलना उतना ही मुश्किल तो हैं,परंतु नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं हैं। उपरोक्त सभी कारणों से निराशा अवश्य होगी, परंतु उसे कैसे हेंडल करना हैं,यह हमारे ही हाथों में है।

सबसे पहले तो मन में यह बात अच्छी तरह से बैठा लें कि समय गतीवान हैं,और यह कभी भी एक सा नहीं रहता।आज यदि आप असफल हैं, किसी वजह से दुखी हैं, पैसे की कमी हैं या किसी अन्य कारण से निराशा से घिरे हुए हैं,तो यह सोचिए कि आने वालें पल में सब कुछ बदल भी तों सकता हैं।कभी हम अच्छी स्थिति में भी तों थे।

जब इंसान निराशाजनक परिस्थितियों से गुजरता हैं, तों कई बार गलत रास्ते पर भी चल पड़ता हैं, सही ग़लत का उसे कोई अहसास नहीं रहता और कई बार तों केवल भाग्य के भरोसे पर ही बैठ कर परिस्थितियों के बदलने का इंतजार करने लगता हैं।परंतु केवल हाथ पर हाथ धर कर बैठने से कोई फायदा नहीं होता हैं।हम इन परिस्थितियों को, अपनी हिम्मत,मेहनत,और हौंसले के दम पर बखुबी मात दे सकते हैं। आपने ये कहावत तो सुनी ही होगी कि"भगवान एक रास्ता बंद करता है तो कई और रास्ते भी खोल देता है"। इस बात पर विश्वास रखिए और देखिए सब अच्छा  ही होगा। जरुरत है तो सिर्फ सब्र की।  

जब भी आप स्वयं को ऐसे कठिन हालात में पाएं तो,हार मानने के बजाय कारण और निवारण पर ध्यान दें। किसी भी दुख का यदि कारण हैं,तो निवारण भी अवश्य ही होगा। तों सोचिए कि आप आज इन परिस्थितियों में क्यों है ,इसका क्या हल हैं।और  उन परिस्थितियों से बाहर निकालने की कोशिश करें।

      इसके  लिए अपने परिवार का, मित्रों का या किसी ऐसे व्यक्ति का सहारा लें, जो आपको समझ सकता हैं,और आपकी हर संभव सहायता कर सकता हैं। अकेले ना रहे, सबसे बात करते रहे, हो सकता हैं कि बातों ही बातों में आपकी समस्या का कोई हल निकल आए।विषम और प्रतिकूल स्थितियों से बचने का प्रयास करें। मुझे थ्री इडियट्स मूवी की  ये पंक्ति बहुत ही पसंद है,"ऑल इज़ वेल", अर्थात सब ठीक है।आप भी जब कभी खुद को निराश पाएं,ये पंक्ति दोहराएं, यकिनन आपको अच्छा लगेगा।

      अपनें पसंदीदा  गाने सुने, कोई अच्छी सी किताब पढ़ें या मोटीवेशनल स्पीच सुनें। इससे आपका मन शांत रहेगा।और शांत मन में ही अच्छे और स्वस्थ विचार आते हैं। 

          याद रखें कि निराशा  कभी -कभी अवसाद या डिप्रेशन का कारण भी बन सकती है। आप के साथ आपके माता-पिता,भाई-बहन,मित्र आदि कई लोगों की उम्मीदे जुड़ी हुई होती हैं। अतः समय रहते अपने लिए और अपने अपनों के लिए सही फैसले लें। निराशा के बादलों से निकल कर,आशा की किरणों का आनंद लें।इस प्रकार आप निराशा से आशा का सफर तय करके अपनी मंजिल तक अवश्य ही पहुंच जाएंगे।

   अंत में चार पंक्तियों में अपनी बात पूरी करना चाहूंगी।

" हौसलों की उड़ान को तू बुलंद कर,

 आशा और निराशा का तू द्वंद कर ।

 जीत तेरी ही होगी,ये मान लें तूं,

बस नाउम्मीदी के सारे दरवाज़े तू बंद कर।।

धन्यवाद ????