नेतागिरी

हैरान, परेशान जनता कि आवाज
सोने का हैं देश मेरा, सोने का हर रास्ता
जगह जगह पर गठ्ठे, जीने का मोल सस्ता।

पेड़ लगा लो गढ्ढों में, चाहे करों अपमान
ऑंखें मिचे नेता यहा गुंगे, बहरे कान।

मुर्दा पड़ेने पर लगाते भुगतान का प्लास्टर
पसीना बहाये जनता, नेताओं के पोस्टर।

पाच साल में आयेगा चुनाव वाला त्यौहार
लंबे लंबे वादों पर ये, जनता से मांगे प्यार।

जैसे ही बाजी पलटी, शुरू होता व्यापार
हाथ पैर जोड़े जनता, ये माॅ-बाप सरकार।

साथ बैठने वाला भी कल को नेता बनता हैं
पुछेंगा ना, इस कुर्सी का ऐसा नशा चढ़ता हैं।

चाहे चुसे खून किसी का,इनका घर भर जाए
चुल्लू भर पानी में डुबाकर वोट देनेवाले मर जाए।
warsha