Login

लम्हे.. डॉ. अनिल कुलकर्णी

Experience of moments


लम्हें
हमारा दिल धुंडता रहा
फुरसत के वो लम्हें
तुम्हारी बीती हुई लम्होंने
तो आज तक जिंदा रखा है
जहां रहो वहां खुश रहो
कबर तक राह देखेंगे
तुम्हारी खबर की
तुम नही तो क्यां
लम्हों ने कहां छोडा है.