"रजनी, आज तू बहुत खुश दिख रहीं हैं? इस खुशी का क्या कारण हैं?"
सुमन ने रजनी से पूँछा|
"मैं आज बहुत खुश हूँ, क्योंकी मेरा लड़का प्रणव अच्छे मार्क्स लाकर 12th. पास हुआ हैं | मेरा सपना उसने पूरा किया हैं |"
रजनी ने खुशी से कहा |
"बहुत अच्छा हुआ, बधाई हो और इस खुशी के मौके पर मिठाई तो मिलनी चाहिए|"
सुमन ने रजनी को
बधाई देते हुए कहा|
बधाई देते हुए कहा|
"लायी हैं मिठाई मैंने, देती हूँ सबको|"
ऐसा कहकर रजनी मिठाई का बॉक्स बॅग में से निकालने लगी, तभी एक एक्सीडेंट पेंशट अस्पताल में आया और सभी उस पेशंट के लिए अपने अपने काम में लग गए|
पहले अपनी ड्यूटी, यह सोचकर रजनी ने भी मिठाई का बॉक्स बॅग में रख दिया और पेशंट को देखने चली गयी|
पेशंट एक आदमी था| उसके हाथ, पैर और सिर पर लगा था| खून निकल रहा था| उसकी हालत देखकर, वह गरीब होगा ऐसा दिख रहा था और शराब भी पिया हुआ था|
रस्ते पर किसी चलती गाड़ी के सामने आ गया था| गाड़ी चलानेवाला भला इंसान था, इसलिए वह भागा नही बल्की खुद उसे लोगों की मदत से अस्पताल लेके आया था| पुलिस एक्सीडेंट के बारे में पूछताछ कर रही थी और डॉक्टर भी अपना काम कर रहे थे|
सिर को लगने से और खून बहुत बहने के कारण वह बेहोश था| रजनी पेशंट की सिर पर की चोट को साफ कर रही थी, तब उस आदमी का चेहरा देखकर वह स्तब्ध हो गयी|
रस्ते पर किसी चलती गाड़ी के सामने आ गया था| गाड़ी चलानेवाला भला इंसान था, इसलिए वह भागा नही बल्की खुद उसे लोगों की मदत से अस्पताल लेके आया था| पुलिस एक्सीडेंट के बारे में पूछताछ कर रही थी और डॉक्टर भी अपना काम कर रहे थे|
सिर को लगने से और खून बहुत बहने के कारण वह बेहोश था| रजनी पेशंट की सिर पर की चोट को साफ कर रही थी, तब उस आदमी का चेहरा देखकर वह स्तब्ध हो गयी|
"रजनी क्या हुआ?"
सुमन ने उसे आवाज दिया|
"कुछ नहीं हुआ|"
ऐसा कहकर रजनी ने अपना काम पुरा किया और वह एक कुर्सी पर जाकर बैठ गयी|
'उसकी ऐसी हालत देख कर मुझे दुख होना चाहिए या खुशी ?'
ऐसा रजनी मन में सोच रही थी और ऐसा सोचते सोचते उसे अपने बीते दिन याद आने लगे|
रजनी के पिता एक छोटेसे कंपनी में काम करते थे| रजनी को एक छोटी बहन और एक छोटा भाई था| रजनी ने नर्सिंग कोर्स किया था| उसे जॉब भी मिलने वाली थी लेकिन उसके बुआ ने उसके लिए एक अच्छा रिश्ता लाया| रजनी के पिता को वह रिश्ता अच्छा लगा और उन्होंने रजनी की शादी करवा दी| रजनी थोड़ी नाखुश थी पर पिता की खुशी के लिए शादी के लिए तैयार हो गयी| और ससुराल में खुशी से रहने का प्रयास करने लगी|
रजनी और प्रकाश की शादीशुदा जिंदगी अच्छे से गुजर रही थी| लेकिन कुछ महिने बाद रजनी को पता चला की, प्रकाश का किसी दुसरी लड़की से अफेयर हैं। इस बात को रजनी ने घर में सास, ससुर, प्रकाश के बड़े भाई और भाभी इन सबको बताया| लेकिन सबको पहले से यह बात मालूम थी, ऐसा उनकी बातों से रजनी को समझ में आ रहा था|
"आप सभी ने मुझे धोका दिया हैं और इस बात पर मैं आपको कभी माफ़ नही करूंगी|"
रजनी ने घर में सभी को कहा|
सभी ने रजनी की माफ़ी मांगी|
प्रकाश को उस लड़की को छोडकर, रजनी के साथ अपना घर संसार संभालने के लिए कहा|
अब तो प्रकाश पिता भी बनने वाला था| इस बात को समझकर वह ठिकाने पर आयेगा| ऐसा घर वालों को लगता था| घर वालों ने जैसा सोचा था वैसा हुआ नहीं, बल्की रजनी और प्रकाश में ज्यादा झगड़े होने लगे| प्रकाश रजनी को मारने पीटने भी लगा था| खुद का अफेयर था और रजनी के चरित्र पर शक करता था| रजनी ने प्रकाश को बहुत समझाया, अपना घर संसार को बचाने की बहुत कोशीश की, लेकिन प्रकाश में कोई भी सुधारणा नहीं हुयी|
प्रकाश को उस लड़की को छोडकर, रजनी के साथ अपना घर संसार संभालने के लिए कहा|
अब तो प्रकाश पिता भी बनने वाला था| इस बात को समझकर वह ठिकाने पर आयेगा| ऐसा घर वालों को लगता था| घर वालों ने जैसा सोचा था वैसा हुआ नहीं, बल्की रजनी और प्रकाश में ज्यादा झगड़े होने लगे| प्रकाश रजनी को मारने पीटने भी लगा था| खुद का अफेयर था और रजनी के चरित्र पर शक करता था| रजनी ने प्रकाश को बहुत समझाया, अपना घर संसार को बचाने की बहुत कोशीश की, लेकिन प्रकाश में कोई भी सुधारणा नहीं हुयी|
तब प्रकाश की बुरी आदत से तंग आकर रजनी हमेशा के लिए मायके आ गयी|
'रजनी के इस हालत के लिए मैं जिम्मेदार हूँ|' ऐसा रजनी के पिता को लगने लगा था और इसी टेन्शन में उनकी हार्ट अटॅक से मौत हो गयी|
रजनी के भाई बहन पढा़ई कर रहे थे और घर की बाकी जिम्मेदारी भी थी| रजनी पहले से ही बहुत दुखी थी, पिताजी की मृत्यू के बाद ज्यादा दुखी हो गयी|
'अगर प्रकाश अच्छा रहता था| तो मैं ससुराल में अच्छे से रहती थी| लेकिन उसके कारण मैं मायके आयी और पिताजी ने मेरा टेन्शन ले लिया| इसी कारण उनकी मृत्यू हो गयी| उनके जाने से अब घर में कितनी कठिन परिस्थिती आ गयी हैं? यह सब प्रकाश के कारण ही हुआ हैं| मैं उन्हे कभी माफ़ नहीं करूंगी| उन्होंने हम सब की जिंदगी बरबाद कर दी|'
ऐसा सोचकर रजनी बहुत रोती थी|
पिताजी की मृत्यु के बाद, रजनी घर की जिम्मेदारी संभालने लगी| वह एक प्रायव्हेट अस्पताल में नर्स का जॉब करने लगी|
'अपनी जिंदगी में जो हुआ वह अच्छा नहीं हुआ| जो हो गया उसे हम बदल नहीं सकते लेकिन हम आगे की जिंदगी अच्छी हो और खुश रहने के लिए कुछ प्रयास तो कर सकते हैं|'
ऐसा सोचकर रजनी अपने परिवार के लिए मन लगाकर काम करने लगी|
रजनी की जिंदगी अभी भी सरल नहीं थी| बहुत सारी मुश्किलों से भरी हुई थी|
'ससुराल को छोडकर मायके में रह रही हैं| इसका मतलब इसको ही वहा रहना पसंद नहीं था| इसके वजह से ही पिताजी की मृत्यू हो गयी|'
रिश्तेदार और पहचान के लोग ऐसा ही सोचते थे और कभी इधर उधर या सीधा रजनी को ही ऐसा बोल देते थे|
ऐसी बाते सुनकर रजनी को बहुत बुरा लगता था|
'गलती प्रकाश की थी और दोष मुझे लग रहा हैं| मुझे सहानभूती की जगह ताने मिल रहे हैं|'
ऐसा सोचकर रजनी को दुख होता था|
ऐसी सब कठिनाईयों का सामना करते, रजनी अपनी माँ, भाई,बहन और अपने बच्चे प्रणव को खुश रखने की कोशिश कर रही थी|
भगवान का आशीर्वाद और अपने प्रयास पर विश्वास रखा तो रस्ता भी मिलता हैं और जिंदगी भी आसान लगने लगती हैं|
कुछ ऐसा ही अनुभव रजनी को आ रहा था| भाई बहन को उसने अच्छा पढा़या और बाद में उनकी शादी भी करवा दी|
'मैं अपने जिंदगी में खुश हूँ | दुसरी शादी करने के लिए अब कभी मन नहीं करता|'
इसी विचार में
रजनी अपने जिम्मेदारी में व्यस्त रहती थी| कभी खुद के बारे में सोचती नहीं थी| उसे अपने बेटे प्रणव की चिंता रहती थी| बेटा प्रणव बहुत हुशार और मेहनती था| वह आगे अपने पैरों पर खड़ा हो जाए, ऐसा रजनी का सपना था| आज ट्वेल्थ अच्छे गुणों से पास होकर वह सफलता की ओर बड़ा था| यह देखकर रजनी बहुत खुश हुयी थी| लेकिन जिसके वजह से उसकी जिंदगी बदल गयी थी, उसकी जिंदगी में बहुत सारे दुख आये थे, वही इन्सान,उसका पती.. प्रकाश आज उसके सामने आया था और वह भी ऐसी हालत में|
इसी विचार में
रजनी अपने जिम्मेदारी में व्यस्त रहती थी| कभी खुद के बारे में सोचती नहीं थी| उसे अपने बेटे प्रणव की चिंता रहती थी| बेटा प्रणव बहुत हुशार और मेहनती था| वह आगे अपने पैरों पर खड़ा हो जाए, ऐसा रजनी का सपना था| आज ट्वेल्थ अच्छे गुणों से पास होकर वह सफलता की ओर बड़ा था| यह देखकर रजनी बहुत खुश हुयी थी| लेकिन जिसके वजह से उसकी जिंदगी बदल गयी थी, उसकी जिंदगी में बहुत सारे दुख आये थे, वही इन्सान,उसका पती.. प्रकाश आज उसके सामने आया था और वह भी ऐसी हालत में|
'आगे क्या होगा?'
ऐसा रजनी सोच रही थी,तभी सुमन की आवाज से वह अपने भूतकाल से वर्तमान में आयी|
सुमन ने उसे उसकी उदासी का कारण पूँछा| तब रजनी ने उसे अपनी पूरी कहानी बता दी|
कहानी सुनकर सुमन को भी बहुत बुरा लगा|
रजनी को प्रकाश पर बहुत गुस्सा था| पर आज वह उसके सामने पेशंट के रूप में आया था| अपना फर्ज निभाते हुए वह उसका ख्याल रख रही थी|
कुछ घंटो बाद, प्रकाश को होश आया| जब उसने सामने रजनी को देखा, तब वह भी स्तब्ध हो गया| रजनी से अपनी आँखे चुराने लगा| शर्मिंदा होने लगा|
" रजनी, मुझे माफ़ कर दो, मैंने तुझे बहुत दुख दिए हैं और इस बात का फल मुझे मिल गया| जिसके लिए मैंने तुझे तकलीफ़ दी, उसी ने मुझे धोका दिया| वह किसी ओर के साथ भाग गयी| मेरा सब पैसा भी ले लिया और मुझे छोड़ दिया| मैं अपने कर्म का फल भुगत रहा हूँ | माँ और पिताजी मेरी वजह से बीमार रहने लगे और उसी में उनकी मौत हो गयी| बड़े भाई और भाभी ने मुझ से रिश्ता तोड़ दिया|
पेट भरने के लिए काम की तलाश में, मैं इधर उधर घुमता हूँ| कोई भी काम करता हूँ, अपना पेट भरता हूँ और इसी टेन्शन की वजह से, मैं ज्यादा शराब पीने लगा हूँ|
अभी जो हो गया वह हो गया लेकिन आप तुम मेरे जिंदगी में फिर से आयी हैं, तो हम फिरसे साथ रहेंगे|
हमे लड़का हैं या लड़की? मैंने तो उसे देखा ही नहीं हैं| मैं अभी उसे देखना चाहता हूँ| हम तीनो अभी साथ में रहेंगे| तुम मुझे माफ़ करेगी ना रजनी?"
प्रकाश ने चेहरे पर करुणा के भाव लाते हुए रजनी से कहा|
प्रकाश की बात सुनकर रजनी ने उसे कुछ जवाब नहीं दिया|
'प्रणव क्या सोचेगा? उसने तो कभी अपने पिता को देखा नहीं और उसको कभी पिता का प्यार भी नहीं मिला| अब उसको यह सब बताकर उसकी जिंदगी में दुख नहीं देना चाहती हूँ|'
ऐसा सोचकर रजनी ने सिर्फ अपनी माँ को प्रकाश के बारे में बताया|
" रजनी, तू जो भी निर्णय लेगी मुझे वह मंजूर हैं|"
ऐसा रजनी के माँ ने उसे कहा|
' मुझे माफ कर दो|'
ऐसा कहना कितना आसान होता हैं, पर गलती करने वाला यह सोचता नहीं की, अपनी गलती से दुसरों को कितना नुकसान होता हैं? यहाँ तो प्रकाश की गलती से मेरी ही नहीं, मेरे प्रणव की भी जिंदगी बदल गयी| मेरे पिताजी की मृत्यू हो गयी| कितना दुख हमारे जिंदगी में आया| मैं उसे कैसे माफ़ कर सकती हूँ?
ऐसा कहना कितना आसान होता हैं, पर गलती करने वाला यह सोचता नहीं की, अपनी गलती से दुसरों को कितना नुकसान होता हैं? यहाँ तो प्रकाश की गलती से मेरी ही नहीं, मेरे प्रणव की भी जिंदगी बदल गयी| मेरे पिताजी की मृत्यू हो गयी| कितना दुख हमारे जिंदगी में आया| मैं उसे कैसे माफ़ कर सकती हूँ?
'माफ़ करना आसान हैं?' इस सवाल का जवाब हाँ भी हो सकता हैं और नहीं भी हो सकता हैं|
यह व्यक्ति के ऊपर और परिस्थिती कैसी हैं?इस पर निर्भर करता है| तब्येत
यह व्यक्ति के ऊपर और परिस्थिती कैसी हैं?इस पर निर्भर करता है| तब्येत
अगर गलती छोटी है और कुछ ज्यादा नुकसान नहीं हुआ हैं या परिस्थिती कुछ वैसी ही थी, तब सामने वाला ये बाते समझ कर माफ़ भी कर सकता है| पर गलती जान बुझकर की गयी हो और उस गलती से किसी की जिंदगी का नुकसान हो गया हो, तो सामने वाला माफ़ नहीं कर सकता|
गलती करने वाले को उसकी गलती का एहसास होना चाहिए और वह फिर से गलती ना करे इसका क्या भरोसा?
गलती करने वाले को उसकी गलती का एहसास होना चाहिए और वह फिर से गलती ना करे इसका क्या भरोसा?
ऐसी बाते अच्छी तरह से सोचकर रजनी ने प्रकाश के सवाल का जवाब नहीं में दिया और साथ में न रहने का निर्णय भी उसको बताया|
प्रकाश की गलती को तो रजनी ने माफ़ नहीं किया लेकिन इंसानियत के नाते उसने एक एनजीओ की मदत से प्रकाश को व्यसनमुक्ती केंद्र में भरती कर दिया| उसका आगे का जीवन कुछ अच्छे काम में लग जाए उसका जीवन व्यर्थ न जाए ऐसी रजनी की सोच थी|
' मैं अभी अपने इसी जिंदगी में खुश हूँ |'
ऐसा सोचकर रजनी अपनी आगे की जिंदगी खुशी से जीने लगी|
समाप्त
नलिनी बहालकर
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