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लड़की का मायका

About Relation
रोज की तरह दुबे जी और उनकी पत्नी हेमा जी, माॅर्निग वाॅक के लिए घर से निकले| गार्डन में रोज की तरह थोडी देर चलने के बाद उधर बेंच पर बैठ गये|

"कैसे हो दुबे जी?"

गार्डन में माॅर्निग वाॅक के लिए आये पांडे जी ने दुबे जी से पूँछा|

"मैं ठीक हूँ, आप कैसे हो?"

दुबे जी ने खुशी से जवाब दिया और पांडे जी से उनके बारे में भी पूँछा|

"मैं तो हमेशा ही खुश रहता हूँ|"

पांडे जी ने हँसते हँसते कहाँ|

"भगवान से यही प्रार्थना, आप हमेशा ऐसा ही खुश रहे|"

दुबे जी ने पांडे जी से खुशी से कहाँ|

"दुबे जी, मैंने सुना हैं, आपके छोटे लड़के की शादी तय हुई हैं?"

पांडे जी ने आनंद और आश्चर्य का भाव चेहरे पर लाते हुए, दुबे जी से पूँछा|

"हाँ, सही सुना आपने|"

दुबे जी ने खुशी से जवाब दिया|

दुबे जी के चेहरे की खुशी पांडे जी ने देखी और साथ में तभी हेमा जी के चेहरे की उदासी भी उनको नजर आई|

"बधाई हो दुबे जी और भाभीजी|"

पांडे जी ने खुश होकर दोनों को बधाई दी और पूँछा,

"दुबे जी,राहुल बेटे की शादी की बात से आप तो बहुत खुश दिख रहे हो,पर इस शादी से भाभीजी खुश नहीं दिख रही हैं? कुछ हुआ हैं क्या?"

"कुछ नहीं हुआ हैं| वह भी बहुत खुश हैं|"

दुबे जी ने चेहरे पर खुशी के भाव लाते हुए कहा||


"मैने जो सुना वह सच हैं क्या? आपकी होनेवाली बहू अनाथ हैं| उसका कोई मायका नहीं हैं| क्या यही कारण हैं, भाभीजी के उदासी का?"

पांडे जी ने दुबे जी से पूँछा और उन दोनों की तरफ जवाब की अपेक्षा में देखते रहे|

"क्या करू भाई साहब? घर में मेरा कोई सुनता नही, ना बेटा सुनता हैं, ना बेटे के पिता!
अच्छे अच्छे घर के रिश्ते आए थे मेरे राहुल के लिए, पर वे सभी छोड़कर, एक अनाथ लड़की ही मेरे राहुल को पसंद आ गयी| और उसको कुछ समझाने के बजाय यह उसका साथ दे रहे है |"

हेमा जी ने अपने मन का सब गुस्सा, बोल कर निकाल ही दिया|

"मैंने भी तो अच्छा रिश्ता बताया था आपको| लड़की सुंदर, हुशार थी,अच्छे बड़े घर की थी और रिश्ता बराबरी वालों के साथ होता था|"

पांडे जी ने आग में तेल ड़ालकर, आगको और बढा़ दिया|

"चलो पांडे जी, काम हैं मुझे, निकलते हैं हम|"

बात आगे न बढ़ जाए, इसलिए दुबे जी ने शांतीपूर्ण भाव से ऐसा कहा और वे हेमा जी के साथ घर की तरफ चले गये|


चेहरे पर हँसी लाकर पांडे जी भी मुस्कुराते हुए अपने घर की तरफ चले गये|


"आज पांडे जी ने कहा, कल और कोई बोलेगा| अब सबका
सूनना ही पड़ेगा| रिश्ता बराबरी में नही हुआ| यह बात समझ सकते हैं, पर इस लड़की का तो मायका भी नहीं है| ना माँ बाप का पता, ना कुछ संस्कार,रीतीरीवाज का पता, ना कोई जात-पात का पता| अनाथ आश्रम में पली- बढी़ है, उसपर कैसे संस्कार होगे? कैसे अपने परिवार में रहेगी? राहुल को वह कैसे पसंद आ गई? कैसे उससे प्यार हो गया? क्या देखा उसमे ऐसा?"
हेमा जी अपने मन का दुख दुबे जी को बता रही थी|

जब से राहुल की शादी तय हुई थी, तब से यही बाते वह दुबे जी को सुना रही थी |

"जो होगा वो अच्छा ही होगा|"

ऐसा कहकर, दुबे जी ने हमेशा की तरह अपने प्यार से, मिठी बातों से हेमा जी का गुस्सा कम करने की कोशिश की|



जब रीना नोकरी के इंटरव्यू के लिए राहुल के ऑफिस में आयी थी, तभी पहली ही मुलाकात में राहुल को रीना अच्छी लगने लगी थी| वह उससे प्यार करने लगा था|

शादी के लिए राहुल को सुंदर और बड़े घर की लड़कियों का रिश्ता आता था, पर उसको रीना ही पसंद आई थी| उसे तो बाद में पता चला की, रीना एक अनाथ लड़की हैं|

रीना को भी राहुल अच्छा लगता था| वह भी उसे प्यार करती थी| पर दोनों में बहुत सारी दुरिया थी,इसलिए वह आगे नही बढ़ना चाहती थी|

'राहुल एक बड़े घर का लड़का और मैं तो एक अनाथ लड़की!'

ऐसा वह सोचती थी|

राहुल ने अपने दिल की बात अपने पिताजी को बतायी| पिताजी रीना से मिले, उससे बात की, उनको भी वह अच्छी लगी|
'रीना अनाथ हैं, उसका कोई मायका नहीं हैं, पर वह बहुत अच्छी हैं, संस्कारी हैं| अपने राहुल को खुश रखेगी|'

यह सब देखकर और सोचकर दुबे जी ने दोनों की शादी करने का निर्णय लिया|

घर में हेमा जी,बड़ा बेटा अजय और बड़ी बहू कोमल यह सब इस शादी के खिलाफ थे| राहुल के लिए कोई अच्छी लड़की और बडे घर की लड़की चाहिए थी| ऐसा सभी का कहना था|

दुबे जी की बात को घर में सभी सुनते थे| उन्होंने जो निर्णय लिया वही अंतिम होता था, इसलिए सभी के विरोध के बाद भी, उन्होंने राहुल की पसंद को अपने घर की छोटी बहू बनाने का निर्णय लिया|

पांडे जी जैसे लोग तो सीधी बात कहते हुए अपना विरोध जताते थे और बाकी पीठ पीछे उलटी सीधी बाते कहकर बुराई करनेवाले भी थे|

घरवालो और बाहरवालो के विरोध को नजर अंदाज करते हुए, राहुल और रीना की शादी हो गई और एक अनाथ लड़की दुबे परिवार की बहू बन गई|

राहुल तो बहुत खुश था और दुबे जी भी अपने निर्णय से खुश थे| रीना को राहुल का प्यार और ससुरजी का आशीर्वाद तो मिला पर साथ में सास,जेठानी और जेठजी का गुस्सा भी मिल रहा था| बड़ी बहू बड़े घरसे आई थी, इसलिए सासूमाँ जान बूझकर रीना के सामने उससे अच्छी बाते करते थी, उससे प्यार करते थी|

बड़ी बहू भी हमेशा अपने मायके की तारीफ करती रहती थी| उनका यह व्यवहार देखकर रीना को बहुत बुरा लगता था|

'मैं एक अनाथ हूँ| इसमें मेरा क्या दोष? मेरे माँ बाप कौन हैं? यह भी मुझे मालूम नहीं| अनाथाश्रम ही मेरे लिए सब कुछ था|

कितने नसीबवाले होते हैं वह, जिनको माँ बाप का प्यार मिलता हैं| उनके साथ रहने को मिलता हैं और मेरे जैसे कितने अभागी भी हैं, जिन्हें माँ बाप क्या होते हैं? उनका प्यार क्या होता हैं? ये मालूम नहीं पड़ता|
ना कभी समझता हैं|

मेरे माँ बाप सही में बहुत अच्छे होंगे, क्योंकी उनकी सुंदरता और अच्छे गुण भगवान ने मुझे दिए हैं|

अपनों का प्यार क्या होता हैं? यह मुझे राहुल से मिलने के बाद पता चला| वह मुझे कितना प्यार करता! मेरा ख्याल रखता| ये देखकर मुझे अच्छा लगता था| राहुल को देखकर मुझे भी उससे प्यार हो गया था| पर उसका एक अच्छा परिवार हैं, वह बहुत अमीर भी हैं | और मैं तो एक अनाथ लड़की जिसका कोई मायका भी नहीं| दोनों में कोई बराबरी ही नहीं थी||

यह सब देखकर मेरे मनमें एक सवाल आता हैं,

क्या मेरे जैसे अनाथ लड़कियों को ऐसा ससुराल, ऐसा पती कभी मिल नहीं सकता?

शादी करते समय, लड़की कैसी हैं? ये तो देखते हैं और साथ में उसका मायका भी देखते हैं|
पैसा, संस्कार ये सब भी देखते है|

इतना सब कुछ अच्छी तरह से देखने के बाद भी, पति पत्नी में झगड़े होते हैं, सास बहू की पटती नहीं हैं| बात आगे जाकर तलाक तक पहुँच जाती हैं|

मेरा मन सोचने लगता हैं, रिश्ता निभाने के लिए, परिवार में और जीवन में खुशी लाने के लिए क्या जरुरी हैं?


मैंने तो राहुल से शादी करने की अपेक्षा ही छोड दी थी| पर भगवान ने मेरे जीवन में आगे कुछ अच्छा लिखा होगा, इसलिए राहुल के पिताजी के रूप में आकर, उन्होंने मेरा सपना पूरा कर दिया| राहुल का प्यार और ससुरजी के प्यार भरे आशीर्वाद से मुझे सासूमाँ, जेठानीजी, जेठजी इन सब का गुस्सा और उनका मेरे प्रति जो बुरा व्यवहार हो रहा हैं, उसे मैं सहन कर रही हूँ |'


लड़की का मायका हो या लड़की अनाथ हो, अगर उसका स्वभाव, उसके गुण और उसके संस्कार अच्छे हो, तो वह अपने ससुराल में दुख देने के बजाय खुशियाँ ही देती हैं|

रीना अनाथ थी, उसका मायका नही था| पर उसके अच्छे स्वभाव और व्यवहार के कारण उसने पहले ही राहुल और उसके पिताजी का मन जीत लिया था|

रीना के सास, जेठानी और जेठजी ने, रीना को बहुत तकलीफ दी| उसके उपर चोरी का इल्जाम लगाया| उसके चरित्र पर लांछन लगाये| रीना के बारे में गलत बाते बताकर, राहुल और उसके पिताजी के भी कान भरे| रीना घर छोड़कर खुद चली जायेगी या राहुल उसे घर से बाहर निकाल देगा| उसके बाद कोई अच्छे घर की लड़की अपने घर की बहू बनकर आएगी, ऐसा उनको लगता था|

लेकीन रीना के अच्छे व्यवहार से और उसके उपर भगवान की कृपादृष्टी थी, इसलिए हर बार उसकी अच्छाई सबके सामने आ जाती थी और घरवालों की गलतियाँ सामने आ जाती थी और उनको शर्मिंदा होना पड़ता था|

एक बार रीना की सासूमाँ बहुत बिमार हुई थी, तब रीनाने उनकी मन लगाकर सेवा की| सासूमाँ उससे बुरा व्यवहार करती थी, गुस्सा करती थी, उसके बारे में बुरा सोचती थी,फिर भी रीना ने अपने बहू होने का फर्ज निभाया था|

ऐसे ही धीरे धीरे रीना ने सब के
मन में अपना स्थान बना लिया|

घर में, अब उसके साथ सभी अच्छे से बात करने लगे थे| प्यार से रहने लगे थे|

राहुल को अपने प्यार पर और दुबे जी को अपने निर्णय पर विश्वास पक्का हो गया और बहुत खुश हुए|


एक दिन हमेशा की तरह दुबे जी और हेमा जी गार्डन में बैठे थे, तब उनको पांडे जी गार्डन में दिखे|

"पांडे जी, कैसे हो? हमारी नजर चुरा कर क्यों भाग रहे हो? हम राहुल के बच्चे के दादा और दादी बनने वाले हैं, हमे बधाई नहीं देंगे क्या?"

दुबे जी ने पांडे जी को आवाज देकर कहा|

"थोड़ा काम था इसलिए जल्दी में हूँ|
आपको दादा और दादी बनने की बधाई हो, राहुल और बहूको भी बधाई देना मेरी तरफ से |"

ऐसा कहकर पांडे जी वहाँ से जल्दी जल्दी चले गए| उनको ऐसा जाते हुए देखकर, दुबे जी और हेमा जी दोनों हँसने लगे|


समाप्त
नलिनी बहालकर