होलिका

होलिका


होलीका

हे माँ होलिका तुम एक ज्वलंत उदाहरण हो इस पुरूषी ठेकेदार समाजका जो नारीको हमेशा जलाता आ रहा है।

होलिका माई कहते हुवे अपनी ही त्यागमयी माँ को जलाता ही आ रहा है!

कौन थी तुम होलिका.? एक राक्षसी ? ... एक तापसी ? . समाज और संस्कृतीने तुम्है बस वही दर्जा दिया है इतिहास के पन्नों में

हिरण्यकषप्यु की बहन भक्त प्रल्हाद को जलती आंच पर ले कर बैठने वाली कठोर नारी.

होलिका तुम भी ठग गयी इन अज्ञानी पंडितोसे

कौन थी होलिका ?

"महर्षि कश्यप की परम् विज्ञानमयी विदूषी पुत्री थी होलिका"

महान विद्वान महर्षि आर्णव की भार्या थीं,  होलिका 

किंतु समाज ने तुम्हारी पहचान बनायी..
हिरण्यकश्यप की सगी बहन और भक्त प्रल्हाद की बूवा!!

चूँकि तुम ऋषिकुल में थीं अतः शिक्षित और अनेक वैदिक विधाओं की ज्ञाता भी थीं,हे

होलिका तुम विश्वकी प्रथम अग्नि-शामक-विधाओंकी जननी अथवा आविष्कार कर्त्रि थी

यही तुम्हारे लिये एक सम्मान-जनक उद्बोधन होगा!!

तुम्हीने सूर्य-सूक्त "(ऋग्वेद-•१•११•१५• के प्रथम मंत्र से लेकर षष्ठम् मंत्र पर्यन्त के आधार पर एक नवीन वस्त्र का निर्माण किया था--

#तान्मिन्त्रस्य_वरूणस्याभिचक्षे_सूर्यो_रूपं_कृणुते_द्योरुपस्थे।
#अनन्तमन्यद्_रुशदस्य_पाजः_कृष्णमन्यद्धरितः_सं_भरन्ति।।

ऋग्वेद के इन्हीं मंत्रोंके आधार पर प्रशिद्ध जर्मन वैज्ञानिक Humo Richard\"s ने १९३७ ई०में  Asbaistes नामक मिश्रित धातु के द्वारा अग्नि प्रतिरोधक वस्त्रों का निर्माण करके अपने नाम पेटेण्ट भी करा लिया!!

और हम मूर्खायें अपनी विज्ञानमयी संस्कृति पर आपस में ही दोषारोपण करने पर तुली हुयी बैठी हैं!!

"होलिका"अपने भाई के घर आयी थी, तो उसे प्रताणित कर,जबरदस्ती इस  के लिये तैयार किया गया कि वो प्रहेलाद को लेकर जीवित चितामें बैठ जाये,और उसेअग्नि-स्नान करवा दें!! #क्योंकि_वो_तो_जीवित_बच_ही_जायेंगी

और उस महान् मनीषि ने,उस परम भागवत् ने उसी अग्नि-प्रतिरोधी वस्त्र को पहन कर प्रहेलाद को अपनी गोदमें लेकर"जीवित ही चिता में किसी पन्ना धाय की तरह"बैठ गयीं,

श्रीनृसिंह तत्त्व संग्रह•३•७• •१७• में तो स्पष्ट रूप से इस संदर्भ में कहते हैं कि #होलिका ने इसी-

#ॐ_उग्रं_वीरं_महाविष्णुं_ज्वलन्तं_सर्वतोमुखम्।
#नृसिंहं_भीषणं_भद्रं_मृत्यु_मृत्युं_नमाम्यहम्॥

मंत्र का स्मरण करते हुवे!!जिस प्रकार विभीषण ने श्री राम को लंका-विजय हेतु आह्वाहन किया था!! बिल्कुल उसी प्रकार #होलिका_माई ने ही सर्व-प्रथम भगवान श्री नरसिंह का स्मरण करते हुवे मृत्यु को स्वेक्षा से स्वीकार कर लिया था!!

#अग्निके_भड़कने_पर_अपने_अग्नि_प्रतिरोधी_वस्त्र #को_तो_प्रहेलाद_को_ओढा_दिया_और_खुद_जल #कर_खाक_हो_गयीं!! किंतु भक्त को,धर्म की मर्यादा को बचा लिया!!

तुम आखीर नारी ही तो थी। तुमने भी त्याग ही कीया

किंतु धर्म के ठेकेदारोन तुम्हे बदनाम कीया
यह भी नही सोचा क्या एक विद्वान, विदुषी, क्या ऐसा कर्म क्यो करेगी.

और वैसे भी नारियाँ तो अशिक्षित समाजमें जलती ही आयी हैं,और यह विडम्बना ही है कि यह तथातकथित "अशिक्षित-समाज"आज भी कथा के मूल उद्रेश्य से अन्जान बना हुवा बड़ी ही खुशी के साथ प्रति वर्ष !!