एक सुंदर अनुभव

प्रांत:कालीन एक सुंदर अनुभव

एक सुंदर अनुभव। १६/०५/२०२१
रोज की तरह भोर हुयी। पंछी चहक रहे थे मानो कह रहे हो उठो सुबह का सुरज देखो मनमे खुषीकी चादर ओढ़ कर ख़ुदको हसीं मोड़ पर लाओ और आंखों में सपनों का बगीचा बिछाओ तब मानूं आपके सुंदर विचारों के मोती कितने सच्चे हैं। मैं भी हंसकर ऊठीं और सुरज के नाजूक किरणोंको अपने आपमें समेटनेका प्रयास किया। उन किरणों ने मेरे चेहरे को ही नहीं मनकोभी इतनी नजाकत से छुआं की मैं खुषीके झुलें पर बैठकर कहां से कहां तक घुम आयी ये मेरे समजमे नहीं आया। ये सुंदर , हसीं पल मैं रोज जीना चाहती हूं। इसलिए मुझे रोज़ इन पंछीयोके साथ उठकर नये सुरज को मिलना पड़ेगा। मैंने पंछीयोंसेमैं कह दिया आप फिक्र ना करें मैं रोज नयी जिंदगी नये सुरज के साथ जियुंगी और मेरा दामन खुषीसे भर लुंगी।
###मीनाक्षी