सुंदर सी एक परी
है इस जहाँ में
देखा उसने ख्वाब
अपने एफतर्फे प्यार में
लबों पर हैंसी है
आखों में दर्द है
प्यार से जुदा होने का
उसको डर है
एकतर्फा है प्यार उसका
न जाने कब मिले
कि है उसने दुवा
रब मिलादे उन्हें
संस्कार है उसको
अपने माँ-बाप के
चाहकर भी ना कर पाये
प्यार का इजहार क्या करें
दिवार बनीं है दौलत
राह का कांटा है शौहरत
क्या करें ये परी
प्यार बिना रह जायेगी
सुंदरता अधुरी
जिसे चाहा है उसने
पुरे दिल से
क्या सच्चा प्यार मिला देगा
उसे अपनी मंजिल से
अपने यार को इस परी ने
देखकर हो गये सोलह बरस
अब, यार कैसा होगा देखने के लिए
उसकी आँखे गयी है तरस
इसने चाहा है जिसे
क्या चाहेगा ओ उसे
बचपन का ये प्यार देखकर
क्या समझ पायेगा उसे
चाहत न रहे इस
फुलती कली की अधुरी
हो जाये इसकी
एकतर्फी मोहब्बत पुरी
यार भी करे प्यार उसे
ये भी तो है जरूरी...
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