अगले जनम मोहें बीटीया ना किजो... भाग2

Aarti ka nau va mahina shuru ho gaya। ek din uhi koi bat ko lekar dono me zagada ho gaya। aur abhay ne use marana shuru kar diya।

आरती का नववा महिना शुरू हो गया ।एक दिन यूहीं किसी बात को लेकर दोनों में झगड़ा हो गया ।और अभय ने उसे मारना शुरू कर दिया । सांस ससुर चाहकर भी कुछ नहीं कर पाते । उसने आरती के पेट पर भी लात मारी , आरती के पेट में जोरो से दर्द शुरु हो गया । ऊसे अस्पताल में भर्ती कराया गया । हालात बहुत गंभीर थे । सिजेरियन से डिलेवरी कराई गई और आरती को पहली बेटी हुई ।

सब बहुत खुश थे  , अभय भी बहुत खुश था । दरअसल अभय घरमे सबसे बहुत प्यार करतां था। लेकिन अगर गुस्सा उसपर हावी हो जाये, तो उसक बुद्धि भ्रष्ट हो जाती थी ।

आरती को लगा अब बेटी हुई है तो अब तो ये गुस्सा कम करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ ।।।। अभय बात बात पर आरती को निचा दिखाता, उसे गाली गलोच करता ।इतना सब कुछ सहकर भी मुँह से उफ तक नहीं निकालती, सारा दर्द पी जाती । मायके वालों को परेशान क्यु करना ये सोचकर मायके वालों को भी कुछ नहीं बताती ।।अकेले ही सारा दर्द झेलती रहीं ।

ऐसेही दिन, महिने, साल बितते गये, आरती दोबारा से माँ बन गई ।इस बार उसने एक प्यारे से बेटे को जनम दिया ।।आरती के शादी को आठ साल हो गए ।इन आठ सालों में आरती की जिंदगी में कुछ भी बदलाव नहीं हुआ ।वो पहले की तरंह आज भी घुटघुट कर जी रही है । अभय आरती को मानसिक रूप से बहुत परेशान करता ।शरीर और मन दोनों से वो टुट चुकी है । बहुत बार उसके मन मे आत्महत्या के विचार आयें, लेकिन अपने दोनों फुल से बच्चों को देखकर चुप हो जाती। "मुझे कितना भी दर्द हो तो भी चलेगा लेकिन मै अपने बच्चो को छोड़ कर नहीं जाऊंगी।" ऐसा सोचकर आरती अपनी जिंदगी जी रहीं हैं ।

और हर वक्त खुद को कोसती रहतीं हैं और भगवान  से प्रार्थना करतीं हैं कि " अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो "

दोस्तों कही बार हमारे समाज में ऐसी घटनाएं घटती है । एक औरत चाहकर भी  अपने मन मुताबिक नहीं जी पातीं । पति कैसा भी हो, उसे मारता हो, पिटता हो, गाली गलोच करे लेकिन वो रहतीं उसके साथ ही हैं अपनी आरती की तरह ।।।

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