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अधुरा ख्वाब जिंदगी का

कहानी अधुरे प्यार की
बाल्कनी में बैठी चाय का लुफ्त उठा रही थी.. तभी पडोस वाले कमरे से किसी कपल के हसने की आवाज आयी! शायद दोनो की नयी नयी शादी हुई है..ऐसे लग रहा था|

नजाने क्यूँ.. बार बार उन दोनो की बातो पर ध्यान जा रहा था|
उनकी प्यार भरी बातें मेरे दिल को चुभ रही थी| मेने अपनी चाय वही पे छोड दी और अपने कमरे में आ गयी| बाल्कनी का गेट भी धडामसे खिंच कर बंद कर दिया और खुद को झोंक दिया बडे से बेड पे|

आँखो के कोनो से निकलती हुई पानी की हलकी गरम बुंदे.. हर पल उसकी याद दिला रही थी| उसने मेरे साथ देखे हुए हर एक सपने को जगा रही थी|

"ओह.. नैना... सच बता रहा हूँ.. जब भी तुम साथ होती हो में बहोत खुश होता हूँ। बस देड साल.. देड साल में मेरा प्रमोशन होगा फिर मे पाप से हमारे शादी की बात करूंगा। एकबार हमारी शादी हो जाएगी और हम दोनो हमेशा के लिये एक हो जाएंगे.. फिर न किसीसे छुपके मिलने की जरुरत होगी ना ही किसिका डर होगा|" आशुतोष ने कहाँ|

"आशू..शादी के बाद भी तुम मुझसे इतना ही प्यार करोगे ना.. जितना अभी करते हो?" नैना ये पुँछते हुई उसकी बाहो में गई|


"ऑफकोर्स येस माय डार्लींग..ये भी कोई पुछने की बात है|"आशुतोषनेभी उसे गले लगाते हुए कहाॅं।

दोनो समंदर के किनारे बैठ कर शादी के सपने सजा रहे थे तभी फोन की रिंग बजी|

"हॅलो आशू.. पापा को दिल का दौरा पड गया है| हमने उन्हे संजीवनी हॉस्पिटल मे भरती करवाया है तुम भी जल्दसेे जल्द आजाओ|
आशुतोष ने नैना को सारी बात बतायी और दोनो भी हॉस्पिटल में पहूँच गये|


"देखिये आशुतोषजी..आपके पापा को इस बार मेजर अटॅक आया था..भगवान की दुऑं से वो बच तो गये लेकीन उन्हे इसबार अटॅक की वजहसे लकवा मार गया हैं| अब से आगे उनका बहोत ज्यादा ख्याल रखना पडेगा|"डॉक्टर ने कहाॅं|

कूछ दिन बित गये..
नैना ने आशुतोष को कॉल किया लेकीन वह उसके कॉल रिसिव्ह नहीं कर रहा था.. ना ही कोई मॅसेज का जवाब दे रहा था| ऐसेही दो महिने और बीत गये| ना कोई कॉल.. ना किसी मॅसेज का जवाब..नैना परेशान हो गयी.. उसे चिंता होने लगी|

आगे पीछे कुछ ना सोचते हुए वो सिधा आशुतोष के घर जा पहुंची| बहोत देर घर के बाहर खडे रहेने के बाद वो गेट के अंदर गयी और उसने दरवाजा खटखटाया।

सर पे पल्लू लिये.. माथे पे बिंदी.. लाल सिंदुर.. हाथ में दुल्हन का चुडा..पिली साडी पहनी हुइ किसी नयी नवेली दुल्हन ने दरवाजा खोला|

"जी कौन?" उसने पूँछा।

"नमस्ते.. में नैना! क्या में आशुसे..मतलब आशुतोष से मिल सकती हूँ?" नैना ने अपनी पहचान बताते हुए उससे पूँछा।

"जी आप अंदर आइये.. में उन्हे अभी बुलाके लाती हूँ|"
बडी तेहजिबसे उस नयी नवेली दुल्हन ने उसे अंदर बुलाके सोफेपे बिठाया।

"जी आपसे मिलने कोई लडकी आयी है... मेने उन्हे लॉन में बिठाया है" उसने उपर आतेही आशुतोष को बताया।


"लडकी..? नाम नहीं बताया उसने!" आशुतोष ने पूंछाँ।

"जी.. उसने अपना नाम नैना बताया है!"

"क्या? क्या कहाँ..नैना!" उसने थोडा चौकते हुए पुँछा।

"जी हां..!"

"एक काम करो उसे गार्डन मे बैठने के लिये कहो और हा.. टेबल पे दो कॉफी लगादो में तैयार होके आता हूँ। और एक बात..उसे अपनी पहचान जरूर बताना"आँखो मे आया पानी छुपाते हुए उसने कहाँ।

उसनेभी सब सूनके हां मे हां मिलाई और वहा से चली गयी..

"जी..वो तैयार हो रहे है तब तक उन्होंने आपको गार्डन मे इंताजर करने के लिये कहाँ है..
आईने ना.. राईट साईड मे हमारा गार्डन हैं।

नैना उसके पिछे पिछे चल पड़ी

" जी आप कौन? मतलब आपकी तारीफ? पहनावे से लग रहा है की अभी अभी शादी हूई हैं आपकी!" नैना ने पूँछा।

"जी मेरा नाम शालिनी..शालिनी आशुतोष शर्मा..आप जीनसे मिलने आयी है उनकी पत्नी| जी आप बैठीये मे अभी कॉफी लेकर आयी..

नैना को गार्डन मे बिठा कर शालिनी वापस घर मे चली गयी

नैना शालिनी को बस देखती रह गयी.. उसने जो बोला वो सच है या झुंठ.... कही ये सपना तो नही ये सोचते हुए बहोत देर तक खडी रही..तभी सामने से उसने आशुतोष को आते देखा।

नयी शादी का रंग जैसे दुल्हन के चेहेरे पर चढता है वैसेही दुल्हे के चेहेरे पर भी दिखता है..आशुतोष भी वैसे ही चमक रहा था.
आगे चलने वाला आशुतोष और उसके पीछे से सर का पल्लु ठीक करते हूए उसकी बिवी.... हात मे कॉफी का ट्रे लेकर आ रही थी।


"हॅलो नैना..कैसी हो?" आशुतोष ने जैसे कुछ हुआ ही नहीं ऐसे बर्ताव करते हुए पूँछा।

"में ठीक हूँ..तुम कैसे हो? शादी अँड ऑल हां..चुपकेसे शादी कर ली.. बताना जरुरी तक नहीं समझा!" नैना ने बडी दर्दी से पूँछा।

"जी इसमे इनकी कोई गलती नहीं है...पापाजी की आखिरी इच्छा थी.. और अटॅक के बाद पापाजी को लकवा मार गया था। उसके बाद तो उनकी तबीयत खराब ही थी... ना ठीक से खा रहे थे... ना सो रहे थे। इसलिये जल्दबाजीमे सब हो गया..शादी होतेही चार दिन बाद पापाजी चल बसे और सब धरा का धरा रह गया.." शालिनी ने कहाँ।

"जी आपकी कॉफी.." शालिनी ने कॉफी का कप नैना के सामने रखा.. और दुसरा कप खुदके लिये बनाया।

"आशुतोष.. तुम नहीं लोगे कॉफी?" नैना ने पूँछा।

"जी उन्हे कॉफी पसंद नहीं है" शालिनिने जवाब दिया

"ओहह.. अच्छा.."नैनाने आंहे भरते हुए बोला

"शालिनी...मे तुम्हे कुछ बताना चाहता हूँ। कुछ बाते वक्त रहते सामने आ जाए यही ठीक रहता है." आशुतोष ने कहाँ।

नैना बस कान लगा के बैठी थी की अब आशुतोष क्या कहेगा

"शालिनी..ये नैना..मेरी बहोत अच्छी दोस्त..दोस्ती से आगे का हमारा रिश्ता था..हम दोनो कई सालोंसे एक दूसरे को डेट कर रहे थे। देड साल मे हम शादीभी करने वाले थे। जिस दिन पापा को अटॅक आया था उस दिन भी हम दोनो साथ मे ही थे। शादी के बहोत सपने संजोये थे हम दोनोने..

लेकीन पापा की इच्छा के आगे सब...

शादी के बारे मे जब मुझसे कहाँ गया तभी मेने अपने और नैना के बारे में पापासे बात की थी....लेकिन पापा को उनके दोस्त से यानी तुम्हारे पापासे किया हुआ वादा निभाना था। इस वजह से मेने तुमसे से शादी की। शालिनी अब तुम ऐसे बिलकुल मत समझना की तुम हम दोनो के बीच आयी होl शायद हम दोनो का सफर यही तक था। कभी कभी कुछ रिश्ते उपरवाले की मर्जीसे जुडते है और कुछ रिश्ते अपनी मर्जी सेl
शालिनी मेरे मन में भले ही नैना के लिए प्यार हो लेकीन बिवी के नाते तुम्हारे लिए भी मेरे मन में हमेशा प्यार और सम्मान रहेगा। हम दोनो में जो कुछ था...अब सब खत्म हो चुका है। इसलिए कभी ये मत सोचना की मेरे दिल मे बस नैना ही है। दोनो भी अपनी जगह अलग अलग हो। जिस दिन शादी हुई उसी दिन तय किया था कि नये जिंदगी की शुरुवात तुम्हे सब कुछ सच सच बता कर ही करूंगा। आशुतोषने कहाँl

नैना.. तुम कुछ कहोगी नही? शालिनीने पूँछा।

क्या कहूँ में! बेटे के लिए बेटे का फर्ज निभाना और दोस्त के लिए दोस्त से किया हुआ वादा निभाना...इसमें सारे कसमे वादे तोड के अपना फर्ज पहिले अदा करना इससे बडी बात एक प्रेमि और प्रेमिका के लिए क्या हो सकती हैं भला। दुख की बात नही बोलूंगी इसे क्योंकि अगर आशु मुझे धोका देता तो शायद उससे प्यार करने का पछतावा होता मुझेl मेरे साथ ऐसा होता तो शायद में भी यही फैसला लेती। शालिनी तुम बहोत खुशनसिब हो के तुम्हे आशु जैसा लडका पति के रूप में मिला हैं। हमारे बिच जो था वो सब कही ना कही मेरे दिल में हमेशा रहेगा लेकिन इस वजहसे तुम अपनी शादीशुदा जिंदगीमें कभी कडवाहट मत आने देना। आगेसे मे आशु की जिंदगी में ना कभी आउँगी... ना ही दिखुँगी। आशु...मुझसे वादा करो की तुम हमेशा अपना वादा निभाओगे। हर कदम पे अपनी बिवी का साथ दोगे। अपना दाया हाथ आगे करते हुए नैनाने कहाँ।
दोनोने अपने हाथ नैना के हाथ पर रखते हुए उससे वादा किया कि वे दोनो हमेशा साथ रहेंगे और हर समय एक दुसरे का साथ निभाएंगे।
नैना ने दोनो को शादी की बधाई दि और वहाँ से निकल गयी।
वापस उसने पिछे मुडके देखा नहीं।

तीन महिने बाद वह अपनी कंपनी के प्रोग्राम के लिए दिल्ली आयी हुई थी एक होटल का बड़ासा कमरा कंपनीने उसके लिए बुक करके रखा था।

उसके रूम के बगल के कमरे में शायद नया कपल ठहरा था। तभी उसकी सारी यादे ताजा हुई।

एक अधुरा ख्वाब जिंदगी का.. लेकर चलू अपने रास्ते
वो चले गये अपना घर बसाने
और हम इकठ्ठा कर रहे यादे और बिखरे फसाने
न जाने आगे कौनसा मोड ले लेगी ये जिंदगी
हम तो फिर भी सजाते रहेंगे वो ख्वाब अधुरा जिंदगी का..
©® श्रावणी लोखंडे..(श्रावू)
26-04-2025